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क्यूँ ?

क्यूँ तू करता ऐसे ।

क्या मन में तेरे पाप हें ।।

क्यूँ तू डसता जैसे ।

जहरीला कोई साप हें ।।

क्या तुझे याद नहीं ।

यह तेरे ही माँ-बाप हें ।।

छोडदे तेरी यह अकड ।

जाके उनके पेर पकड ।।

माफ करेंगे ।

गले लगाऐंगे ।।

तेरे दुष्मन नहीं ।

वह तो तेरे माँ-बाप हें ।।

वक्त अभी गुजरा नहीं ।

उनके शरण में जाना

यही तेरे लिये मंत्र-जाप हें ।।

– © Shunam